Shraddha Sonkar (civil servant)
Shraddha Sonkar | |
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Madhya Pradesh Police | |
DSP | |
Personal details | |
Born | Madhya Pradesh | 24 March 1994
Nationality | Indian |
Occupation | Police officer |
समाज के विरोध के बाद भी बाहर निकलकर बनी पुलिस अफसर शहडोल। समाज में आज भी शिक्षा को लेकर जागरुकता का अभाव है। महिला वर्ग भी शिक्षा को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं हैं। महिला वर्ग समाज की कुरीतियों को तोड़ते हुए नवाचार के लिए कदम आगे बढ़ाती हैं तो समाज प्रोत्साहन की जगह और पीछे ढकेलता है। कुछ ऐसी ही कहानी शहडोल पुलिस रेंज के डिंडौरी में पदस्थ पुलिस अधिकारी श्रद्धा सोनकर की है। श्रद्धा का उच्च शिक्षा के साथ पुलिस अधिकारी बनने का सपना था, लेकिन समाज ने बेहतर सपने के सामने कई चुनौतियों के साथ सवाल खड़ा कर दिया था।
श्रद्धा ने चुनौती और समाज की कुरीतियों को तोड़ते हुए उच्च शिक्षा के लिए पढ़ाई करते हुए बेहतर प्रदर्शन किया और पुलिस अधिकारी बनकर साबित कर दिखाया। पुलिस अधिकारी बनने के बाद आज वहीं समाज तारीफ कर सम्मान कर रहा है।
समाज के विरोध के बाद भी बाहर निकलकर बनी पुलिस अफसर शहडोल। समाज में आज भी शिक्षा को लेकर जागरुकता का अभाव है। महिला वर्ग भी शिक्षा को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं हैं। महिला वर्ग समाज की कुरीतियों को तोड़ते हुए नवाचार के लिए कदम आगे बढ़ाती हैं तो समाज प्रोत्साहन की जगह और पीछे ढकेलता है। कुछ ऐसी ही कहानी शहडोल पुलिस रेंज के डिंडौरी में पदस्थ पुलिस अधिकारी श्रद्धा सोनकर की है। श्रद्धा का उच्च शिक्षा के साथ पुलिस अधिकारी बनने का सपना था, लेकिन समाज ने बेहतर सपने के सामने कई चुनौतियों के साथ सवाल खड़ा कर दिया था।
श्रद्धा ने चुनौती और समाज की कुरीतियों को तोड़ते हुए उच्च शिक्षा के लिए पढ़ाई करते हुए बेहतर प्रदर्शन किया और पुलिस अधिकारी बनकर साबित कर दिखाया। पुलिस अधिकारी बनने के बाद आज वहीं समाज तारीफ कर सम्मान कर रहा है।
समाज के लोग और पड़ोसी देते थे ताना[edit | edit source]
श्रद्धा ने बताया कि 12वीं के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए बाहर जाना चाहती थी, लेकिन परिवार और समाज के लोगों ने रोकने की कोशिश की। क्षेत्र के लोगों की बात न मानकर जब बीटेक करने के लिए बाहर निकली तो पड़ोसी और आसपास के लोग घर वालों को ताना देते थे। कुछ लोग तो ऐसे थे कि घर के लोगों से बात तक करना बंद कर दिया था। इसके बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और पुलिस अधिकारी बनने के लिए तैयारियां शुरू कर दी थी।
समाजसेवा के लिए ठुकराई बैंक अधिकारी की नौकरी[edit | edit source]
श्रद्धा ने इंजीनियरिंग के पढ़ाई के बाद बैंक अधिकारी के पद पर चयन हो गया, लेकिन समाजसेवा का सपना पूरा करने के लिए बैंक अधिकारी की नौकरी कुछ समय तक करने के बाद नौकरी को भी ठुकरा दिया।
समाज की बदली मानसिकता, देती है गाइडेंस[edit | edit source]
पुलिस अधिकारी बनने के बाद सवाल खड़ा करने वाले समाज की ही मानसिकता बदल गई है। श्रद्धा के अनुसार क्षेत्र में 20 से 22 साल की उम्र में लड़कियों की शादियां कर देते थे और बाहर पढऩे नहीं भेजते थे। समाज के महिला वर्ग से पुलिस अधिकारी बनने के बाद अब समाज के अन्य लोग भी अपनी बेटियों को पढ़ाई के लिए बाहर भेज रहे हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां करा रहे हैं। श्रद्धा समाज के अन्य लोगों को जागरूक कर रही हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां करने वाले लोगों को गाइडेंस भी कर रही हैं।
दादी का विरोध तो दादा का प्रोत्साहन[edit | edit source]
जिसे दादी ने बेलन और चौकी हाथों में पकड़ाई थी, उसी बेटी ने अफसर बनकर दिखाया है। समाज की कुरीतियों को लेकर क्षेत्र से बाहर निकलने के दौरान दादी ने भी विरोध किया था। एक ओर दादी शादी के लिए लड़का तलाश रहीं थी तो वहीं दादा का प्रोत्साहन मिल रहा था। धीरे धीरे परिवार के लोगों ने अपना फैसला बदला और पढ़ाई के लिए क्षेत्र से बाहर भेजा।
कदम कदम पर मिला परिवार का सहयोग[edit | edit source]
समाज में शिक्षा के प्रति आज भी लोग गंभीर नहीं है। हमारे समाज में 10 फीसदी लड़कियां ही उच्च शिक्षा के लिए बाहर निकल पाती थी। मैंने जब बाहर पढ़ाई का फैसला लिया तो चारों ओर से विरोध हुआ, लेकिन माता पिता और भाई के साथ पूरे परिवार का हर कदम कदम पर सहयोग रहा, हर पल उत्साह बढ़ाया। पुलिस अधिकारी बनने के लिए भरसक तैयारियां की और मुकाम हासिल कर लिया। समाज के जिन लोगों ने विरोध किया था, वे अब अपनी बेटियों की उच्च शिक्षा के प्रति गंभीर है। राष्ट्र के विकास के लिए अब हर समाज को नजरिया बदलने की जरुरत है। श्रद्धा सोनकर, डीएसपी